Friday, July 26, 2013

Aaj mat roko muje, aaj mera udane ka mann hai

आज मत रोको मुझे,
आज मेरा उड़ने का मन है

माँ के प्यार का मन है,
पिता के दुलार का मन है

ज़िन्दगी के तीखे अनुभव भूल,
बस एक प्यार भरी लोरी का मन है||

आज मत रोको मुझे,
आज मेरा उड़ने का मन है

भाई की डांट का मन है,
भाभी संग शरारतो का मन है

अपनी असफलताए भूल,
बस एक जश्न का मन है||


आज मत रोको मुझे,
आज मेरा उड़ने का मन है

बॉस से तकरार का मन है,
दोस्तो का संग ठिलवाई का मन है

सारी टेंशन भूल,
बस मौज मस्ती का मन है||

आज मत रोको मुझे,
आज मेरा उड़ने का मन है

कुछ अपनी कहने का मन है,
कुछ उनकी सुनने का मन है

पूरी दुनिया को भूल,
बस एक दुसरे में डूबने का मन है||


आज मत रोको मुझे,
आज मेरा उड़ने का मन है

बारिश में भीगने का मन है ,
गरमा गरम पकोड़ो का मन है

सारे गम भूल,
बस एक मीठी चाय का मन है||

आज मत रोको मुझे,
आज मेरा उड़ने का मन है

ज़िन्दगी में कुछ अधुरा सा लगता है,
आज उसे जीने का मन है

आज मत रोको मुझे,
आज मेरा उड़ने का मन है

आसमान बड़ा पास लगता है
आज उसे छूने का मन है
आज उसे छूने का मन है||

6 comments:

  1. Arey great, you bring out a complete poem out of four lines :)
    So simple yet expressive.

    Happy Life!

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  2. Thanks arpit.. Hv i done justice to ur four lines?

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